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Property Dispute के मामले में अब फटाफट निपटेंगे, नहीं मिलेगी तारीख

property dispute news: आज के समय में कोर्ट के मामले निपटने में काफी समय लगता है। कई मामले तो ऐसे ही हैं जो फाइलों में ही बंद रह जाते हैं। वहीं अब प्रोपर्टी के मामले में अब सरकार ने एक ऐलान किया है...
 
Property Dispute के मामले में अब फटाफट निपटेंगे, नहीं मिलेगी तारीख Property Dispute के मामले में अब फटाफट निपटेंगे, नहीं मिलेगी तारीख Property Dispute के मामले में अब फटाफट निपटेंगे, नहीं मिलेगी तारीख Property Dispute के मामले में अब फटाफट निपटेंगे, नहीं मिलेगी तारीख    231 506 11 203

Khelo Haryana, New Delhi बिहार सरकार कोर्ट में लंबित संवेदनशील भूमि विवाद के मामलों का स्पीडी ट्रायल कराने की तैयारी कर रही है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ऐसे संवेदनशील मामलों का आंकड़ा जुटाएगा, जिनके कारण आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है। 

आंकड़ा मिलने पर विभाग संबंधित कोर्ट से उस मामले का स्पीडी ट्रायल कराने का आग्रह करेगा। इसके लिए विभाग अपने यहां प्राथमिकता सूची भी तैयार करेगा। सूची बनाने में चौकीदारों के साथ स्थानीय थानों की मदद ली जाएगी।

राजस्व विभाग ने स्पीडी ट्रायल की प्रक्रिया और मुकदमों की प्राथमिकता तय करना शुरू कर दिया है। सरकार ने ऐसे विवादों पर नजर रखने के लिए राजस्व विभाग में पहली बार एक आईपीएस अधिकारी का पद सृजित कर दिया है। 

संयुक्त सचिव स्तर के उस पद पर चन्द्रशेखर विद्यार्थी को तैनात भी कर दिया है। इसी के साथ हर सप्ताह थानेदार राजस्व अधिकारियों के साथ भूमि विवादों के मामलों की सुनवाई भी करते हैं। 

सरकार का प्रयास है कि छोटे विवाद स्थानीय स्तर पर ही निपटा लिये जाएं। बावजूद अगर मामला कोर्ट में जाता है तो स्पीडी ट्रायल से उसका जल्द निपटारा किया जाए। जमीन से जुड़े मामलों के कोर्ट में जाने पर उसके निपटारे में वर्षों लग जाते हैं। 

नाजायज लाभ लेने के लिए कई बार जमीन को विवादित बनाकर सही मालिक को परेशान किया जाता है। ऐसी घटनाएं आपराधिक वारदात को जन्म देती हैं। उन्हें जल्द निपटाने के लिए फौजदारी मुकदमों की तरह इनका भी स्पीडी ट्रायल कराने पर गंभीर मंथन चल रहा है।  

डीसीएलआर को फैसला 30 दिन के भीतर देना होगा

डीसीएलआर किसी भी हाल में  दो तारीख से अधिक समय तक के लिए स्टे नहीं लगा सकेंगे। साथ में फैसला भी उन्हें 30 दिन के भीतर देना होगा। इस पहल के बाद अगली कड़ी में सरकार की नजर राज्य के उन संवेदनशील मामलों पर है जिसके कारण अपराध को बढ़ावा मिल रहा है। 

सभी राजस्व न्यायालयों को ऑनलाइन किया जा रहा

राज्य सरकार ने भूमि विवाद कम करने के लिए गंभीर फैसले लिये हैं। अपील के मामलों में डीसीएलआर के हाथ बंधने के बाद सरकार एडीएम स्तर के अधिकारियों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। सभी राजस्व न्यायालयों को ऑनलाइन किया जा रहा है। म्यूटेशन संबंधी सीओ के फैसले पर स्टे लगाकर सुनवाई लंबे समय तक टालना कठिन हो गया है। 

भूमि विवादों को चार भाग में बांटा गया

मुख्यमंत्री के आदेश पर तत्कालीन मुख्य सचिव दीपक कुमार ने भूमि विवाद से संबंधित मामलों का वर्गीकरण करने का आदेश दिया था। इसके लिए चार श्रेणियां बनाई गईं। अंचल, अनुमंडल और जिलास्तर पर आने वाले मामलों की छंटनी करने की तैयारी उसी आदेश पर चल रही है। 

व्यक्तिगत भूमि विवाद, कोर्ट केस और विधि व्यवस्था को प्रभावित करने वाले विवाद अलग श्रेणी में रखे जायेंगे। विवाद खत्म करने के लिये श्रेणीवार ही विधि विकसित की जानी है। इसके अलावा हर अंचल में चार सुरक्षा बल मुहैया कराए गए। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में डीआईजी स्तर के अधिकारी की प्रतिनियुक्ति कर दी गई है।