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India Army : ब्रिगेडियर रैंक से ऊपर होगी एक ही यूनिफॉर्म, सिर्फ इस तरीके से होगी पहचान

भारतीय सेना ने आजादी के बाद पहली बार बड़े अधिकारियों की यूनिफॉर्म में बदलाव किया है सभी अफसर एक ही यूनिफॉर्म पहनेंगे यह नियम अगस्त से लागू कर दिए जाएंगे.
 
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Khelo Haryana, New Delhi भारतीय सेना में बड़े अधिकारी और ब्रिगेडियर मिलिट्री अफसरों को एक ही यूनिफार्म पहने होगी क्योंकि आजादी के बाद पहली बार भारतीय सेना ने यह फैसला लिया है वर्दी बदलने का फैसला 17-21 अप्रैल को हुए सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में लिया गया. 

तय किया गया है कि फ्लैग रैंक (ब्रिगेडियर और उससे ऊपर) के सीनियर अफसरों के हेडगियर, शोल्डर रैंक बैज, गोरगेट पैच, बेल्ट और जूते अब मानकीकृत और सामान्य होंगे.

ध्वज-रैंक के अधिकारी अब कोई डोरी नहीं पहनेंगे. भारतीय सेना में 16 रैंक होते हैं, जिन्हें तीन कैटेगरी में बांटा गया है. इसी के आधार पर उन्हें पद और वेतन मिलता है.  

इंडियन आर्मी में ब्रिगेडियर वन-स्टार रैंक है. यह कर्नल से ऊपर और टू-स्टार मेजर जनरल के नीचे की रैंक होती है. एक ब्रिगेडियर एक ब्रिगेड का प्रमुख होता है.

मूल रूप से इसे ब्रिगेडियर-जनरल के रूप में जाना जाता था, लेकिन 1920 के दशक से यह एक फील्ड ऑफिसर रैंक था. आमतौर पर एक डिवीजन 3 या 4 ब्रिगेड को मिलाकर बनती है. इसमें 10-15 हजार सैनिक होते हैं. 

सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में यह फैसला लिया गया है कि युद्ध के दौरान शारीरिक रूप से दिव्यांग होने वाले सैनिकों को पैरालंपिक में भेजा जाए. उन्हें ट्रेनिंग दी जाए.

उन्हें नौ खेल प्रतिस्पर्धाओं में आर्मी स्पोर्ट्स और मिशन ओलंपिक नोड्स में प्रशिक्षित करने का निर्णय किया गया है. युद्ध के दौरान शहीद होने वाले सैनिकों के सक्षम बच्चों को AGIF से भरण पोषण भत्ते को दोगुना करने का फैसला लिया गया.  

भारतीय थल सेना यानी इंडियन आर्मी (Indian Army) को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. कमीशन किए गए अधिकारी, जूनियर कमिशन अधिकारी और गैर-कमीशन अधिकारी और सैनिक.

हर एक की वर्दी (Uniform) पर पद के अनुसार कंधे पर कुछ तारे और प्रतीक चिन्ह लगे होते हैं. कंधों पर लगे बैज पर बने चिन्हों को देखकर कैसे समझे कि सामने खड़ा सेना का अधिकारी किस पद पर है.

लेफ्टिनेंट:

भारतीय सेना के कमीशन किए गए अधिकारियों की सबसे छोटी पोस्ट. कोई भी रिक्रूट सबसे पहले एनडीए या आईएमए में कोर्स करके लेफ्टिनेंट ही बनता है.

उसकी वर्दी पर कंधे पर लगे बैज पर दो तारे होते हैं. ऊपर दिख रहा भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह बैज का बटन होता है. वह हर अधिकारी की वर्दी पर दिखता है. 

कैप्टन:

लेफ्टिनेंट प्रमोशन पाकर या दो साल पूरा करने पर कैप्टन बनता है. इस अधिकारी की वर्दी पर कंधे पर लगे बैज में तीन सितारा होता है. 

मेजर:

6 साल काम करने, भाग बी की परीक्षा की मंजूरी के बाद या प्रमोशन लेकर आने वाले अधिकारियों को मेजर की पोस्ट दी जाती है. इनके कंधे पर सिर्फ भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह होता है. 

लेफ्टिनेंट कर्नल:

भारतीय सेना में 13 वर्ष या भाग डी की परीक्षा की मंजूरी या प्रमोशन के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल की पोस्ट दी जाती है. इनके कंधे पर भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह और एक तारा होता है. 

कर्नल:

कर्नल या उससे ऊपर की चयन से होता है. 15 साल की कमीशन्ड नौकरी चयन के लिए और 26 साल की कमीशन्ड नौकरी टाइम-स्केल प्रमोशन के लिए चाहिए होता है. इनके कंधे पर दो तारे और भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह बना होता है.