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Shatabdi Express: रेलवे की इस गलती के कारण ट्रेन का मालिक बना किसान

Shatabdi Express: जमीन अधिग्रहण के बाद जब रेलवे ने किसान का मुआवजा देने में कोर्ट के आदेश को नहीं माना तो कोर्ट ने फैसला सुनाया कि इस ट्रेन का नाम अब किसान होगा। तो चलिए जानते हैं पूरा मामला...
 
रेलवे की इस गलती के कारण ट्रेन का मालिक बना किसान

Khelo Haryana, New Delhi जमीन अधिग्रहण के बाद किसान को मुआवजा देने के अदालती आदेश की जब रेलवे ने अवहेलना कर दी, तो अदालत ने स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस को ही किसान के नाम कर दिया। 

यह सुनने में अजीब लग रहा होगा लेकिन सच है। दरअसल हुआ कुछ यूं कि लुधियाना में जमीन अधिग्रहण का मुआवजा मांगने के लिए एक किसान को अदालत जाने के लिए मज़बूर होना पड़ा। 

लेकिन जब भारतीय रेलवे ने अदालत के आदेश को भी नहीं माना तो दूसरी सुनवाई में अदालत ने अमृतसर से नयी दिल्ली के बीच चलने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस को ही किसान के नाम कर दिया। और उसे ट्रेन को घर ले जाने की इजाजत दे दी। लुधियाना के डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज जसपाल वर्मा ने ट्रेन संख्या 12030 को किसान के नाम कर दिया। 

ये है पूरा मामला-

लुधियाना चंडीगढ़ रेल लाइन के निर्माण के लिए 2007 में किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन किसानों को इसका पूरा मूल्य नहीं दिया गया। गांव कटाणा के किसान संपूर्ण सिंह और अन्य ने ज्यादा क्लेम देने के लिए अदालत में केस दायर किया। 

इसे अदालत ने मंजूर किया। अदालत ने किसानों को बढ़ाई गई राशि एक करोड़ पांच लाख 38 हजार 231 रुपये की अदायगी करने को कहा। बावजूद इसके रेलवे ने संपूर्ण सिंह व अन्य किसानों को मुआवजा राशि नहीं दी। 

न मिला मुआवजा तो संपत्ति नीलामी की लगाएंगे गुहार-

संपूर्ण ने अदालत के आदेशों को लागू कराने के लिए एक्जीक्यूशन का आवेदन किया। रेलवे ने फिर भी अनदेखी की। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं द्वारा रेलवे विभाग की संपत्ति की सूची और शताब्दी एक्सप्रेस की सूची दिए जाने के बाद इसे 18 मार्च तक अटैच कर रिपोर्ट देने को कहा। 

इस पर 15 मार्च को अदालती आदेश के अनुसार अधिकारियों ने रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर स्वर्ण शताब्दी और स्टेशन मास्टर के कमरे को अटैच किया। रेल के सेक्शन इंजीनियर प्रदीप कुमार द्वारा लिखित सुपुर्दगी दिए जाने के बाद इसे कुछ ही मिनटों में रिलीज कर दिया गया। अब यह सेक्शन इंजीनियर की जिम्मेदारी है कि वह अदालत के आदेशों का पालन कराए।

संपूर्ण सिंह के वकील राकेश गांधी का कहना है कि इस मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जसपाल वर्मा की अदालत ने 31 जनवरी को आदेश जारी किया था। संपत्ति को कुर्क करने का आदेश मार्च माह के दूसरे हफ्ते में हासिल किया गया। इसके बाद अदालती आदेश की तामील के लिए अधिकारियों की टीम ने 15 मार्च को रेलवे स्टेशन पर जाकर कार्रवाई की थी।