wine and beer : महंगी बोतलों में सस्ती शराब डालकर, बनाए जा रहे पैग, हुआ ये बड़ा खुलासा

अरुणाचल प्रदेश में बिक्री के नाम पर शराब के तस्कर चांदी काट रहे हैं. कागजों में पंजाब की डिस्टिलरी द्वारा शराब को केवल अरुणाचल में बेचने के लिए तैयार किया जाता है.
क्योंकि अरुणाचल में शराब टैक्स फ्री होती है. लेकिन, यह शराब झारखंड होते हुए ड्राइ स्टेट बिहार में बेची जा रही है. इससे हर साल सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान तो हो रहा है.
साथ ही लोगों के लिए भी ये शराब नुकसानदायक है क्योंकि इसमें मिलावट भी की जाती है. इस कड़ी मे कबाड़ी दुकानदार भी इस गिरोह का हिस्सा चाहे अनचाहे बन जाते हैं.
दरअसल, महंगे ब्रांड की बोतलें इन शराब तस्करों को यहीं से मिलती हैं. इस मामले में एक कबाड़ी दुकानदरों से बात की तो उन्होंने भी माना कि ऐसा होता है.
हालांकि, पूरे मामले पर सहायक उत्पाद आयुक्त रामलीला रवानी का कहना है कि जो भी कंसाइनमेन्ट आता है उसे बॉर्डर पर करा दिया जाता है.
लेकिन, कुछ लोग जो रीफिलिंग का काम करते हैं. उन पर समय से पर सूचना कर आधार पर कार्रवाई की जाती है. मिली
जानकारी के अनुसार, राजधानी में शराब तस्करों के बड़े नामों में गणेश गोराई, बालकरण, अजय साहू, संजय साहू और संजय यादव जैसे लोग शामिल हैं.
इसके लिए दर्जनों गैंग काम रहे हैं. सभी का नेटवर्क चंडीगढ़ से निकलकर अरुणाचल जाने वाली शराब की तस्करी के लिए काम करता है.
सस्ती दर वाली शराब चंडीगढ़ से मंगवाकर रांची में रिपैकेजिंग करवाकर बिहार और रांची के लोकल बाजारों में बेचा जाता है.
इन रीपैकेजिंग दुकानों को ढाबे और लाइन होटलों मे भी खपाया जाता है. लाइसेंसी दुकानों में भी इनकी घुसपैठ मिली है और इस कारण कुछ दुकानों को सील भी किया गया था.
हालांकि, सबसे ज्यादा इन शराब को बिहार भेजकर ज्यादा मुनाफा कमाया जाता है। जानकारी के मुताबिक, लग्जरी गाड़ियों में तहखाने बना कर शराब की तस्करी की जाती है.
शराब तस्कर अरुणाचल जाने वाली शराब की खेप को झारखंड में उतार कर उसकी रीपैकेजिंग कर झारखंड में इसे अलग-अलग ब्रांड की बोतलों में भरकर बिहार में तस्करी के जरिये भेज देते हैं.
रांची के ग्रामीण एसपी नौशाद आलम ने कहा कि इस नेक्सस को खत्म करने का प्रयास लगातार किया जाता है. बहरहाल,
लगातार कार्रवाई के बाद भी शराब तस्कर कोई न कोई तरकीब लगाकर पुलिस और उत्पाद विभाग को चुनौती देते नजर आते हैं और लोगों की जिंदगी के साथ भी खिलवाड़ करते हैं.
ऐसे में इस गिरोह पर नकेल कसने के लिए विशेष टीम और रणनीति की जरूरत है.