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औरगंजेब के आगे आकर महिलाएं करती थी ये काम, देखकर राजा ने लिया ये फैसला

एक ज़माने भारत में कई तरह की कुरीतियां थी सती प्रथा उन्हीं कुरीतियों में से एक कुरीति थी. जहाँ पति की मौत होने पर पति की चिता के साथ ही उसकी विधवा को भी जला दिया जाता था.
 
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Khelo Haryana, New Delhi  कई बार तो इसके लिए विधवा की रजामंदी होती थी तो कभी-कभी उनको ऐसा करने के लिए जबरन मजबूर किया जाता था. 

इसी दिल को दहलाने वाली प्रथा को समाप्त करने में राजा राम मोहन राय की अहम भूमिका थी. लेकिन उनके ऐसा करने के पहले ही ब्रिटिश इंडिया में 4 दिसंबर 1829 को बंगाल सती रेग्युलेशन पास करके इस प्रथा पर बैन लगाने से पहले मुगल बादशाह औरंगजेब (Aurangzeb) ने सती प्रथा पर बहुत बड़ा फरमान जारी किया था.

मालूम हो कि मुगल (Mughal) काल में औरंगजेब की जिंदगी से जुड़े हुए कई ऐसे पहलु हैं, जिनके बारे में लोगों को क्या इतिहासकारों को भी ज्यादा जानकारी नहीं है|

जैसे औरंगजेब का भाषा ज्ञान, उसका एक लड़की को देखकर बेहोश हो जाना, युद्ध के मैदान के किस्से से लेकर उसके दरबार में सती प्रथा के आए एक मामले की जिसके बाद औरंगजेब ने एक बड़ा फरमान जारी कर दिया था.

वैसे तो सती प्रथा को राजा राम मोहन राय

पहले औरंगजेब और उससे भी पहले मुगलों के शासनकाल में हुमायूं ने रोकने के लिए बहुत कोशिश की. लेकिन ये अलग बात है कि हुमायूं के मुहिम में कामयाबी नहीं मिली.

फिर उसके बाद अकबर ने भी सती प्रथा पर रोक लगाने के लिए आदेश जारी किए. पर कुछ महिलाएं अपनी स्वेच्छा से भी सती हुआ करती थीं, इसलिए उन दोनों के आदेश जारी करने के बाद भी ये प्रथा नहीं रुकी. 

वहीं आगे चलकर औरंगजेब से लेकर अंग्रेजों के शासन के समय आने तक ये प्रथा चलती ही रही. हालांकि 18वीं सदी के अंत तक इस प्रथा को ऐसे कुछ इलाकों में बंद कर दिया गया जहां यूरोपीय औपनिवेशिक शासन था.

खेर बात हो रही है औरंगजेब की वैसे तो औरंगजेब के जीवन पर यूं तो कई इतिहासकारों ने बहुत कुछ लिखा है पर इतालवी यात्री निकोला मनूची जो, ईरान होते हुए भारत आया था.

उसने मुगल दरबार में काम किया. उसी इतालवी यात्री ने अपनी एक किताब में लिखा, ‘मैं आर्मेनिया के एक साथी के साथ घूम रहा था.

औरगंजेबखुद से आगे बढ़कर आग के चक्कर लगाकर सती हो जाती थी महिलाएं,

एक जगह एक हिंदू महिला जलती चिता के चक्कर लगा रही थी. उसकी नजर अचानक हम पर पड़ी. मुझे लगा, जैसे उसने कहा मुझे बचा लो.

तभी साथी ने मुझसे पूछा कि क्या उसे बचाने में मैं मदद करूंगा? मैंने हां कहते हुए तलवार निकाली तो हमारे सैनिकों ने भी ऐसा किया.

हम घोड़े दौड़ाते हुए वहां पहुंचे तो वहां मौजूद पुरुष भाग निकले, बेचारी वो महिला अकेली रह गई. मेरे साथी ने उसे घोड़े पर बैठाया और हम वहां से निकल गए.’

मनूची ने आगे लिखा, मेरे साथी नौजवान ने उस महिला से शादी कर ली. वो उसे लेकर पश्चिम दिशा की ओर निकला.

महीनों बाद जब मैं सूरत पहुंचा, तो वहां वही साथी और महिला अपने बेटे के साथ मिली. महिला ने जान बचाने के लिए मुझे धन्यवाद दिया.

हालांकि जब औरंगजेब तक शिकायत पहुंची तो उसने तत्काल एक सरकारी फरमान जारी करते हुए कहा, आज से जहां तक मुगलों का राज है, उस पूरे इलाके में किसी भी महिला को सती न होने दिया जाए.’