मशीन में हाथ कटने के बाद भी नहीं टूटा हौंसला, अब पैरा एथलेटिक्स में जीता Gold Medal, पढ़ें सक्सेस स्टोरी
बता दें कि पहले अजय सिंह कबड्डी के स्टेट स्तरीय खिलाड़ी थे लेकिन चारा काटते समय उनका एक हाथ कट गया। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और पैरा एथलिट में हाथ आजमाना शुरु किया।

Khelo Haryana, New Delhi कहते हैं कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। इसकी जीती जागती मिसाल है हरियाणा हिसार नगर निगम मे क्लर्क के पद पर तैनात पैरा एथलीट अजय सिंह है।
बता दें कि पहले अजय सिंह कबड्डी के स्टेट स्तरीय खिलाड़ी थे लेकिन चारा काटते समय उनका एक हाथ कट गया। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और पैरा एथलिट में हाथ आजमाना शुरु किया।
अजय अब तक पैरा एथलिट में 20 से ज्यादा नेशनल से इंटरनेशनल स्तर पर मेडल हासिल करके हरियाणा का नाम रोशन कर चुके हैं।
हाल ही में बेंगलुरु में हुई 5वीं इंडियन ओपन पैरा एथलेटिक्स एंटरनेशनल चैंपियनशिप के लॉन्ग जंप के सीनियर वर्ग में अजय गोल्ड मेडल हासिल किया है। यह चैंपियनशिप 4 से 7 मई तक हुई। अजय का चयन अक्टूबर मे चाइना में होने वाली पैरा एशियन चैंपियनशिप के लिए किया गया है।
लॉन्ग जंप में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 20 मेडल हासिल किए
मैं मूलरूप से फतेहाबाद के नहला गांव का हूं। पिता अजित सिंह खेतीबाड़ी कर परिवार का पालन पाेषण करते थे। कुछ समय पहले ही उनकी माैत हाे गई। शुरू में कबड्डी खेलता था। वर्ष 2009 में चारा काटते समय बायां हाथ मशीन में आ गया था।
इसके बाद कबड्डी खेलने का प्रयास किया मगर सफल नहीं हाे सका। पैरा एथलेटिक्स काेच सुंदर सिंह सिहाग के कहने पर कबड्डी काे छाेड़कर पैरा एथलेटिक्स की प्रैक्टिस शुरू की। राेज 4 से 5 घंटे तक कड़ी मेहनत करता था। अब तक नेशनल से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 20 से अधिक गाेल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक हासिल कर चुका।
अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलीट खिलाड़ी अजय सिंह ने कहा कि खेल के बलबूले पर ही हिसार नगर निगम में क्लर्क की नौकरी लग गई। अब पिछले चार साल से नौकरी के साथ पैरा एथलेटिक्स की प्रैक्टिस कर रहा हूं।
जॉब क 4 से 5 घंटे खेल की प्रैक्टिस करता हूं। अब बेंगलुरू में गोल्ड मेडल हासिल करने के साथ मेरा सेलेक्शन पैरा एशियन चैंपियनशिप के लिए हो गया है।
प्रयास रहेगा कि पैरा एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल हासिल कर देश का नाम रोशन करूं। खिलाड़ियों से अपील है कि किसी भी मंजिल को पाने के लिए मन में उसे पाने की ठान लेना बहुत जरुरी होता है। अगर कोई ये ठान ले तो किसी भी मंजिल को पाया ज सकता है।
ये हैं उपलब्धियां
वर्ष 2023 में इंडोनेशिया में हुए पैरा एथलेटिक्स ग्रांडपिक्स में कांस्य पदक।
वर्ष 2018 में पेरिस में हुए पैरा एथलेटिक्स गेम्स में गाेल्ड मेडल।
वर्ष 2021 में हुए पैरा एथलेटिक्स गेम्स में गाेल्ड मेडल।
वर्ष 2019 और 2016 में हुए नेशनल स्तरीय पैरा एथलेटिक्स गेम्स में गोल्ड मेडल।
वर्ष 2022 में भुवनेश्वर में हुए नेशनल स्तरीय पैरा एथलेटिक्स गेम्स में गोल्ड।